All Books Category

कोना धरती का

हवा, पानी, आकाश, धरती, प्रेम, विज्ञान, विकास.... इन सारे शब्दों का अर्थ होना चाहिये जिंदगी। संतोष की कविताओं के अर्थ जिंदगी में खुलते हैं। ये कविताएँ संवेदन भरा एकांतिक प्रलाप नहीं है; समाज, समस्या और देश के प्रति आरोपों, शिकायतों की गठरी भी नहीं हैं

लेखक और प्रतिबद्धता

आज के समय में मार्क्स और मार्क्सवाद की प्रासंगिकता को समझने के लिए दो प्रमुख मार्क्सवादी आलोचकों टेरी इगल्टन और प्रेफडरिक जेम्सन के निबन्धों के अनुवाद इस किताब में शामिल किये गये हैं। किसी लेखक को अपना पक्ष और प्रतिबद्धता तय करने के लिए यह किताब एक आवश्यक कुंजी है।

कथादेश (खंड-18)

कथादेश अठारह जिल्दो में भारत की हिंदी कहानियों का एक सम्यक कोष आज से करीब तीन साल पहले 'कथा मध्यप्रदेश ' का प्रकाशन हुआ था, जिसमे अविभाजित मध्यप्रदेश के लगभग दो सौ से अधिक कथाकार एवं देश - भर के तीस से अधिक आलोचक शामिल थे 'कथा मध्यप्रदेश ' ने हिंदी कहानी की करीब सौ सालो की परम्परा और प्रवित्तियो को प्रस्तुत किया आवर देश भर में एक व्यापक चर्च को जन्म दिया 'कथा मध्यप्रदेश ' को जिस की सराहना मिली, उससे उत्साहित होकर ये बिचार बना की इसी तरह का काम देश - भर के प्रमुख कथाकारों को लेकर किया जाये लगभग सवा सौ साल के परिदृश्य में लिखी गयी हिंदी कहानियों में से 650 प्रतिनिधि कहानियों को जिल्दबन्द करता यह बृहद कथादेश 18 खंडो में विभाजित है। हमारा यह प्रयास है की इसमें उन कहानियों का सम्मलेन अवश्य हो, जिन्होंने काल चेतना के साथ अपना रचनात्मक सामजस्य स्थापित करते हुए नविन सृजन किया

हम भी होते काश कबूतर।

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

पंख मेरे होते काश।

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

उड़न खटोला

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

रंगों के गीत

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

धरती पे तारे

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

तितली

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

धीरे से मुस्काती चिड़िया

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

तारे

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

बड़े सवेरे सूरज आया

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

लाल टमाटर

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

कई रंगों की एक कहानी

यह बाल कविता कोष ग्यारह खंडो में सयोजित है कई रंगो की एक कहानी, बड़े सबेरे सूरज आया, लाल टमाटर, धीरे से मुस्कुराती चिड़िया, तारे, धरती पे तारे, पंख मेरे भी होते काश, उड़न खटोला, हम भी होते काश कबूतर, तितली, रंगो के गीत। नमक इन खंडो में हरियोध जैसे अत्यंत वरिस्ट कविओं से लेकर यश मालवीय जैसे नवगीतकारो द्वारा लिखी बाल कविताये शामिल है। इनमे रंग भी है और सुगंध भी, प्रकृति है और पशु पक्षी भी, और पवन भी बालक भी है, और बृद्ध भी, सेन्स भी नॉनसेन्स भी, लय भी है, अटपटी बानी भी है, इस तरह इनमे जीवन अपनी अपनी समग्रता के साथ उपस्थित है। कई गीत स्वयं बच्चों के द्वारा लिखे गए है।

परंपरा और आधुनिकता

'परम्परा और आधुनिकता' नामक मेरा यह निबंध -संग्रह, मेरे समय समय पर दिए गए व्याख्यानों, पत्र पत्रिकाओं में लिखे आलेखों और आज के समय के कुछ दार्शनिक सवालों पर प्रतिक्रियाओं का ऐसा संग्रह है जो 'हम कुहासे से घिर गए है जैसे फैशनेबल वाक्यों का प्रतिकार करता है' और सोच के कुछ ऐसे बिंदु विकसित करने का प्रयास करता है जहा हमे प्रकाश स्तम्भ खड़े मिले |

माथुर चतुर्वेदी : उद्धव और विकास खंड -1

इस खंड में चतुर्वेदी समाज कब से है? कहाँ से आया? मथुरा में समाज का समय, काल, परिस्थिति क्या-क्या रही? भगवान श्राकृष्ण से समाज का सखा-भाव संबंध क्यों और कैसे है? विभिन्न कालखंडों में मुगलों से उनका सामना, उनका पलायन, भगवान बुद्ध के समय से मथुरा में चतुर्वेदियों की स्थिति एवं मथुरा से उनका पलायन। यह पूरा वर्णन खंड में समय-समय पर विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखे आलेखों के माध्यम से दिया गया है।

माथुर चतुर्वेदी के मुख्य गाँव खंड -2

इस खंड में माथुर चतुर्वेदी समाज के 18 मुख्य गांवों का वर्णन है, जिन्हें समय-समय पर हर गांव की पुस्तक में भी दिया जाता रहा है। उस गांव के बसने को लेकर, ग्राम्य संस्कृति, वातावरण, स्कूल, लाइब्रेरी आदि का जिक्र है।

माथुर चतुर्वेदी के अन्य गाँव और शहर खंड -3

इस खंड में हमने चतुर्वेदी समाज के मुख्य गांवों के बाद भी जो अन्य गांव हैं, जिन पर विस्तृत तौर पर लिखा गया है और लिखा जा रहा है, को शामिल किया है। इन गांवों में अभी भी कंपिल, बसुआ गोंविदपुर, हिंडौन एवं अन्य कुछ गांवों पर और भी लिखित सामग्री की अपेक्षा है। कृपया इसे हम तक अवश्य पहुँचाएँ।

श्री माथुर चतुर्वेदी महासभा और चतुर्वेदी चंद्रिका का इतिहास खंड -4

रस्तुत खंड में श्रा माथुर चतुर्वेदी महासभा का इतिहास प्रस्तुत किया गया है जिसका रजिस्ट्रेशन सन् 1920 में हुआ, जिसे अब 100 साल से ज्यादा हो चुके हैं, जो हमारे लिए गर्व एवं अभिमान की बात है। इस पुस्तक में प्रारंभ से महासभा के सभी सभापति एवं संपादकों का जिक्र है। खंड के दूसरे भाग में चतुर्वेदी चंद्रिका पत्रिका का संपूर्ण इतिहास सिल-सिलेवार दिया गया है।

कथादेश (खंड-18)

कथादेश अठारह जिल्दो में भारत की हिंदी कहानियों का एक सम्यक कोष आज से करीब तीन साल पहले 'कथा मध्यप्रदेश ' का प्रकाशन हुआ था, जिसमे अविभाजित मध्यप्रदेश के लगभग दो सौ से अधिक कथाकार एवं देश - भर के तीस से अधिक आलोचक शामिल थे 'कथा मध्यप्रदेश ' ने हिंदी कहानी की करीब सौ सालो की परम्परा और प्रवित्तियो को प्रस्तुत किया आवर देश भर में एक व्यापक चर्च को जन्म दिया 'कथा मध्यप्रदेश ' को जिस की सराहना मिली, उससे उत्साहित होकर ये बिचार बना की इसी तरह का काम देश - भर के प्रमुख कथाकारों को लेकर किया जाये लगभग सवा सौ साल के परिदृश्य में लिखी गयी हिंदी कहानियों में से 650 प्रतिनिधि कहानियों को जिल्दबन्द करता यह बृहद कथादेश 18 खंडो में विभाजित है। हमारा यह प्रयास है की इसमें उन कहानियों का सम्मलेन अवश्य हो, जिन्होंने काल चेतना के साथ अपना रचनात्मक सामजस्य स्थापित करते हुए नविन सृजन किया

वणमाली समग्र (सृजन)

‘वनमाली समग्र’ वेफ इस सृजन खंड में जगन्नाथ प्रसाद चौबे ‘वनमाली’ की कहानियाँ, व्यंग्य और गद्यगीत शामिल हैं। इस खंड में अजातशत्रा, विष्णु खरे, डॉ. कमला प्रसाद, डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी और प्रदीप चौबे वेफ उन पर वक्तव्य भी हैं जो वनमाली जी की ऐतिहासिकता को वर्तमान से जोड़कर उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित करते हैं।

वणमाली समग्र (स्मृति)

जगन्नाथ प्रसाद चौबे ‘वनमाली’ प्रेमचन्दयुगीन कथा समय वेफ एक महत्त्वपूर्ण कथाकार होने वेफ साथ ही वुफशल और बड़े शिक्षाविद् थे। शिक्षा वेफ क्षेत्रा में उन्होंने कई नवाचार किये। उनवेफ शिष्यों द्वारा उन पर लिखे गये आलेखों को इस स्मृति खंड में शामिल किया गया है। ये लेख वनमाली जी वेफ बहुप्रातिभ व्यक्तित्व को पाठक वेफ सम्मुख रखते हैं।

शब्द, ध्वनि और दृश्य

शब्द, ध्वनि और दृष्य में अपने समय में सृजनषील ग्यारह प्रमुख रचनाकारों से संवाद संकलित हैं, जिनका सम्पादन किया है संतोष चौबे ने। यह पुस्तक वस्तुतः वनमाली कथासम्मान के अवसर पर आयोजित विभिन्न वैचारिक संगोष्ठियों का दस्तावेजीकरण है, जिनमें रवीन्द्र कालिया, ममता कालिया, चित्रा मुद्गल, धनंजय वर्मा, मंगलेष डबराल, नरेष सक्सेना, राजेष जोषी, विभूति नारायण राय, संतोष चौबे, लीलाधर मंडलोई तथा भगवानदास मोरवाल से मुकेष वर्मा, महेन्द्र गगन, शषांक, संतोष चौबे, बलराम गुमास्ता, अरुणेष शुक्ल, विनय उपाध्याय, प्रदीप जिलवाने, मोहन सगोरिया, उर्मिला षिरीष, रेखा कस्तवार जैसे रचनाकारों ने बातचीत की है।